शुक्रवार, 5 जून 2015

पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क मामला सिर्फ एक साजिश

पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क मामला सिर्फ एक साजिश
एक जुमला है जब आप पर कीचड़ उछाली जाने लगे तब समझना आप तरक्की कर रहे हो। योग गुरु बाबा रामदेव ऐसा ही एक नाम हैं। केंद्र में जब कांग्रेस की सरकार थी तब से स्वामी जी भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ लड़ते रहे हैं जिसका परिणाम यह रहा की कांग्रेस पूरी ताकत से बाबा के पीछे पड़ उनपर कीचड़ उछालने से लेकर आरोप तक लगाती रही है। 4 जून 2011 की वह काली रात जिसे अभी तक भुलाया नहीं जा सका है जब रात में सोते निहत्थे लोगों और स्वामी जी पर पुलिस द्वारा जानलेवा लाठीचार्ज करवाया गया था, जिसमें बाबा की जान बाल-बाल बची पर उनकी समर्थक राजबाला को नहीं बचाया जा सका। गौरतलब है कि राजीव धवन को रामलीला मैदान में हुई पुलिस की कार्रवाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस क्युरी (कोर्ट सलाहकार) नियुक्त किया था। राजीव धवन ने कोर्ट को दी अपनी रिपोर्ट में यह बात कही थी कि रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के खिलाफ पुलिस कार्रवाई पहले से तय थी। सरकार एक तरफ रामदेव को आंदोलन खत्म करने के लिए मना रही थीतो दूसरी तरफ पुलिस को कार्रवाई के लिए निर्देश दिए जा रहे थे।
साजिशों की यह प्रक्रिया अब और भी तेज हो चुकी है। अब कांग्रेस मल्टीनेशनल कंपनियों के साथ मिल कर किसी तरह स्वामी रामदेव को फंसाना चाह रही है।  नए मामले में हमला अब स्वामी जी के भाई रामभरत पर किया गया है और उन्हें हत्या के आरोप में फंसाया जा रहा है। विगत हो कि बुधवार को पंतजलि फूड एंड हर्बल पार्क में हुई झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई और उसका आरोप रामभरत पर लगाया गया है। यह मामला बड़ा ही पेचीदा है और इसे साजिश कहने के पीछे मेरे कुछ कारण हैं:
पहला, पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के पीछे के सत्य को उजागर किया है उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर और सोशल मीडिया के जरिये अपनी पूरी बात रखी और साथ ही घटना के महीने पहले हरिद्वार के थानाध्यक्ष को दिया गया प्रार्थना पत्र और दर्ज एफ.आई.आर. की छायाप्रति को संलग्न कर इसके प्रमाण दिए हैं कि किस तरह से पंतजलि फूड एंड हर्बल पार्क में अराजकता फैलाई जा रही थी और बार-बार प्रार्थना करने और एफ.आई.आर दर्ज करवाने पर भी पुलिस मौन रही। यहाँ सभी को सत्य से अवगत करवाने के लिए थानाध्यक्ष को दिया गया प्रार्थना पत्र और दर्ज एफ.आई.आर. की छायाप्रति के लिए फेसबुक पर डाले गए आचार्य बालकृष्ण की पूरी पोस्ट और साथ में उसका लिंक भी दे रहा हूँ।
फेसबुक पर डाले गए आचार्य बालकृष्ण की पूरी पोस्ट-
दिनाँक 27 मई,२०१५ की फ़ूड पार्क में घटित दुर्भाग्यपूर्ण घटना व उसका सत्य-
उन असामाजिक तत्वों द्वारा पहले भी १५ से २० बार हथियारों के साथ अटैक हो चुका हैपतंजलि के माध्यम से दिनांक १५ अप्रैल २०१५ को स्थानीय थाने में शिकायत भी दर्ज करवाई गयीपरन्तु पुलिस प्रसाशन द्वारा आजतक कोई कार्यवाही नहीं की गयी।
पतंजलि के ही एक वरिष्ठ पदाधिकारी स्वर्गीय श्री अनिल यादव का ३० मार्च को मर्डर कर दिया गया परन्तु हम मौन रहेबार-बार अटैक करने पर भी हम मौन रहे पुलिस में FIR दर्ज करवाई लेकिन पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही न होने के कारण अवैध यूनियन से जुड़े कुछ अवैध अराजक तत्वों की ओर से बार-बार अटैक होता रहाफैक्ट्री में आने वाली प्रत्येक गाड़ी से अराजक तत्वों द्वारा अवैध वसूली होती रहीलेकिन हमने सदैव धैर्य रखकर कानून व्यवस्था का पालन किया।
जो कुछ हुआ वह भीड़ व भगदड़ में हुआ फिर भी उस व्यक्ति की मौत का हमें दुःख है। हम किसी भी हिंसा के सख्त खिलाफ हैं।
जहाँ तक रामभरत का प्रश्न है वह निर्दोष हैं उन्हें गलत फंसाया जा रहा है राज्य सरकार के इशारे पर पुलिस प्रशासन और सरकार की तरफ से राजनैतिक बदले की भावना और पक्षपातपूर्ण जो कार्यवाही हो रही है ये लोकतान्त्रिक मूल्यों का हनन है । जो इस मामलें में असली मुजरिम हैं उनके खिलाफ अभी भी FIR भी दर्ज नहीं की जा रही। हमारे पतंजलि फ़ूड पार्क के निर्दोष व्यक्ति को जबरन पकड़ कर जेल में डाला हुआ है।
पतंजलि के सात-आठ भाइयों को भी गंभीर चोटें आई हैं परन्तु पुलिस द्वारा अबतक गुनहगारों को गिरफ्तार करना तो दूर हमारीFIR भी दर्ज नहीं की गई है । उक्त घटना के बाद आज भी दिन भर असामाजिक तत्व फूड पार्क में उत्पात मचाते रहे,परन्तु पुलिस का कोई सहयोग नहीं मिला । जो आज स्वदेशी का सर्वोत्तम प्रतिष्ठान है जहाँ से हजारों परिवारों का (प्रत्यक्ष रूप से २०-२५ हजार व परोक्ष रूप से एक लाख से अधिक परिवारों का ) भरण पोषण होता होउनके परिवार व जीवन को संकट में डालकरउनके पेट पर लात मारने का कार्य एक राजनैतिक पार्टी के षड्यन्त्र के साथ सम्मिलित होकर पुलिस प्रशासन कर रहा है जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
गुनाहगारों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए लेकिन बदले की भावना से पक्षपातपूर्ण कार्यवाही नहीं होनी चाहिए।
संलग्नक -
1 . थानाध्यक्ष को 15.04.2015 को दिया गया प्रार्थना पत्र
2. 15.04.2015 को दर्ज एफ.आई.आर. की छायाप्रति
3. 27.05. 2015 को दिया गया प्रार्थना पत्र
इस पूरे पोस्ट का लिंक-
दूसरा, देश ही नहीं दुनिया भर में योग के जरिए लोगों की कई बीमारियां ठीक कर इस विद्या को एक नई पहचान देने वाले बाबा रामदेव स्वदेशी स्वावलंबन के बहुत बड़े हितैषी है उनका पूरा जोर इस बात पर रहा है कि देश का पैसा देश में ही रहे और यहीं के विकास में इसका इस्तेमाल हो सके। इसी सोच और इच्छाशक्ति का नतीजा है कि आज देश ही नहीं एशिया के सबसे बड़े पतंजलि फूड एवं हर्बल पार्क के जरिये बाबा स्वदेशी वस्तुओं का निर्माण कर रहें हैं। हजारों लोगों को इससे रोजगार प्राप्त हुआ है। 2014-15 वित्तीय वर्ष में कंपनी का सालाना टर्नओवर 67 फीसदी की छलांग के साथ 2000 करोड़ पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। जिस रफ़्तार से कंपनी ने मुनाफा कमाया है, लोगों में पतंजलि के प्रति रुचि बढ़ी है और जिस तरह से इसने विश्वसनीय ब्रांड वैल्यू इमेज का निर्माण किया है उसको देखते हुए सिर्फ मुनाफे को लक्ष्य बनाने वाली मल्टीनेशनल कंपनियों की नींद उड़ना स्वाभाविक है। जिस तेज़ी से पतंजलि उत्पादों का कारोबार बढ़ेगा उसका सीधा असर दूसरे मल्टीनेशनल कंपनियों के मुनाफे पर होगा। पतंजलि ने अभी अपनी प्रतिद्वंदी कंपनी इमामी को पछाड़ दिया है और अब दूसरी कंपनियों को भी इसका डर होगा। ऐसा संभव है कि इस डर को समाप्त करने का एक तरीका लोगों में पतंजलि के विश्वसनीय ब्रांड वैल्यू इमेज को गिरा कर हासिल करने की हो? ऐसा पहले भी इन मल्टीनेशनल कंपनियों द्वारा उनके हितैषी राजनेताओं के जरिये करवाया जाता रहा है। कभी औषधियों में गाय की हड्डी की बात कर तो कभी ‘पुत्रजीवक’ पर बवाल खड़ा कर।
तीसरी और सबसे बड़ी बात, कांग्रेस के केंद्र में रहते हुए स्वामी रामदेव ने भ्रष्टाचार से लेकर बहुत से मामलों में केंद्र सरकार को घेरा और आंदोलन भी किए परिणामतः केंद्र में रहते हुए कांग्रेस ने कई मामलों में बाबा रामदेव और उनके करीबियों पर भी आरोपों की बौछार कर दी मामला विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानन (फेमा) के उल्लंघन का हो जिसमें  प्रवर्तन निदेशालय बिना किसी सबूत के केस बंद करने को विवश है तो वहीं आचार्य बालकृष्ण से संबंधित फर्जी पासपोर्ट मामला जिसमें कोर्ट ने उन्हें सही ठहराया तो वहीं बाबा रामदेव के गुरु शंकरदेव के अपहरण के मामले में भी उन्हें फंसाने की कोशिश नाकाम साबित हुई। ऐसे ही बहुत से मामलों में कांग्रेस ने उन्हें फंसाने की नाकाम कोशिश की। ताजा मामले को ही लें यहां भी कांग्रेस पीछे नहीं है। खबर की पूरी जानकारी बिना कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने बाबा को दोषी बताते हुए ट्वीट किया तो वहीं उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भी बाबा रामदेव को बिना किसी सबूत और न्यायालय के फैसले के बिना दोषी बता दिया। मालूम हो कि उत्तराखंड में अभी कांग्रेस की सरकार है और एक महीने पहले दिए गए प्रार्थना पत्र के बावजूद पुलिस द्वारा खामोश रहना किसी साजिश की और ही इशारा करती है।