शुक्रवार, 8 मई 2015

पसंद की तो मौत भी नहीं मिलती!

हर रोज मरता है,
मरे भी क्यों नहीं,
गरीब है|
भूखे पेट मरने से अच्छा है,
सलमान की कार के नीचे मरता,
नाम हो जाता, गुमनाम मौत नहीं मिलती|
मगर अफ़सोस गरीबों को मौत भी मर्जी की नहीं मिलती
खेद, सलमान अब कार नहीं चलाते|

शुक्रवार, 1 मई 2015

#‎बेफिक्रमन‬

#‎बेफिक्रमन‬ ये इत्तफाक ही था कि कई सालों बाद मैं उससे टकरा गया| आज भी वह वैसी ही थी, जैसी सालों पहले| उसने मेरी तरफ देखा भी नहीं, मैंने उसका पल्लू पकड़कर उसे रोकना चाहा मगर रेत की तरह वह भी फिसलती चली गई, जैसे कल उसे रोक नहीं पाया था आज भी उसे रोक न सका| अलविदा न उसने कहा है और न मैंने|