मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

किसान हूँ भाई!

कार्टून साभार-Shyam Jagota

किसान हूँ भाई!

हर रोज लड़ता हूँ खुद से,
कुदरत से और सरकारी तमाचे से भी|
हर रोज स्वाहा हो जाता है फसलों का बोझा,
हर रोज बढ़ता जाता है कर्ज का बोझ,
हर रोज ही खेला जाता है हमसे,
अब तो हर रोज बनाया जाने लगा है हमारा मजाक भी,
100 रुपए की चेक से महीना तो निकल ही जायेगा?
भले ही 100 रुपए में वेश्या न माने,
पर मैं वेश्या भी तो नहीं,
मैं तो बस एक किसान हूँ|  

मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

‪#‎बेफिक्रमन

‪#‎बेफिक्रमन‬ हर रोज कॉलेज जाने के बहाने पर माँ भी अचरज में थी, जानता था माँ भी समझ रही है पर मजबूर दिल को संभालना मुश्किल था| जिस बस स्टॉप पर आती उसी पर घंटों उसका इंतजार बिलकुल नीरस नहीं लगता| दोस्त जान जाते तो मजाक बनाते मगर कुछ तो बात थी उसमें जो सिर्फ उसमें ही थी|

गुरुवार, 2 अप्रैल 2015

#‎बेफिक्रमन‬ इत्तफाक से तुम्हें ढूँढते-ढूँढते जिससे डर था उसी से टकरा गया इसी से बेफिक्र मन को यह एहसास हुआ की यह तो मेरी गली से निकलने वाला ही चौराहा है|