जज्बात
गुरुवार, 2 अप्रैल 2015
#
बेफिक्रमन
इत्तफाक से तुम्हें ढूँढते-ढूँढते जिससे डर था उसी से टकरा गया इसी से बेफिक्र मन को यह एहसास हुआ की यह तो मेरी गली से निकलने वाला ही चौराहा है|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें