मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

‪#‎बेफिक्रमन

‪#‎बेफिक्रमन‬ हर रोज कॉलेज जाने के बहाने पर माँ भी अचरज में थी, जानता था माँ भी समझ रही है पर मजबूर दिल को संभालना मुश्किल था| जिस बस स्टॉप पर आती उसी पर घंटों उसका इंतजार बिलकुल नीरस नहीं लगता| दोस्त जान जाते तो मजाक बनाते मगर कुछ तो बात थी उसमें जो सिर्फ उसमें ही थी|

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