जज्बात
सोमवार, 24 अगस्त 2015
मरता शरीर
सिसकियाँ छुप गई, दबे स्वर घुट गए
अँधेरा और भी गहराता गया,
मरते शरीर को देखने लोग आने लगे
संवेदनाओं की बहार लिए,
काश, कोई और पहले आ जाता
आत्मा के मरने से पहले...
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