गुरुवार, 1 अक्तूबर 2015

तुम कुछ भी नहीं

ज़िन्दगी में जब आप कुछ बनने कि कोशिश में हो,
या करीब हो,
या बन चुके हो
सफलता आपको चूमती हो,
मगर तबतक आप कुछ भी नहीं,
जबतक आपका चाहने वाला आपसे खुश नहीं
इसे मानने में परहेज कैसा कि आप हारे हुए हो,
आपका कोई अपना जब दुःखी हो तो
आप खुद को जीता हुआ मान भी कैसे सकते हो?
भले ही आपमें क़ाबिलीयत की भरमार हो,
पर सच है कि आप काबिल नहीं,
आपके चाहने वाली की अपेक्षा की उपेक्षा
आपकी सारी उपलब्धियों को धो देता है,
दुनिया को जीतने कि कोशिश तबतक व्यर्थ है
जबतक आप अपनों के प्यार से हारे हुए हो,
व्यर्थ है तुम्हारा बनाया हुआ सारा आडंबर
व्यर्थ है अब तुम्हारा सारा आलाप,
जाओ जीत सकते हो तो जीत लो अपने चाहने वालों को,
उनके प्यार को, उनके विश्वास को,
उनके चेहरे कि मुस्कान ही तुम्हारी उपलब्धि है,
उनकी ख़ुशी ही तुम्हारी सफलता है,
तुम्हारे लिए स्नेह से उठा उनका हाथ ही तुम्हारी जीत है,

और तबतक तुम कुछ भी नहीं

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