चलो मान लेता हूँ मैंने तुम्हें चाहने का नाटक
किया,
चलो मान लेता हूँ मैंने तुम्हें ठगा,
चलो मान लेता हूँ मैंने तुम्हें दुःख दिया,
चलो मान लेता हूँ मैंने तुम्हारी खुशियों का
ख्याल न रखा,
हाँ, मैं दोषी हूँ।
मैं तुमसे दिल से माफ़ी मांगता हूँ मगर,
एक बार मुझे समझने कि कोशिश तो की होती,
इतना तो जान लेती मैं तुम्हारे लिए क्या सोचता
हूँ,
मेरी भावनाओं को परख तो लेती,
मगर नहीं, तुमने ऐसा कुछ नहीं किया।
तुमने अपने आवेश में मेरे एतबार पर बार-बार चोट
की,
मेरे प्यार तक को नकार दिया,
मेरी भावनाओं को रौंद कर जीत का वहम तक पाल लिया
मानता हूँ ये सब तुम्हारा गुस्सा और मेरे लिए
प्यार था,
मगर बस एक बात का उत्तर दो,
अब मुझमें और तुममें फर्क ही क्या रहा?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें